Saturday 8 October 2011


4 comments:

  1. आपकी बातें विचारणीय हैं।

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  2. मैं इसे भटकाव नहीं कहूँगा .. दबाव बनाने की कला जरूर है ये ... वैसे आजके राजनेता इतनी मोती चमड़ी के हैं की इन्हें दूसरी भाषा समझ नहीं आयगी ...

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  3. बिल्कुल सही बताया है।

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  4. बड़े 'लक्ष' के इर्द गिर्द कुछ कमियां तो स्वाभाविक हैं. आंखिर अन्नाजी भी 'भगवान' तो नहीं.

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